हिंदू पौराणिक कथाओं के सात चिरंजीवी: अमरता का वरदान प्राप्त महापुरुष


 


हिंदू पौराणिक कथाओं में सात ऐसे महापुरुषों का उल्लेख है जिन्हें अमरत्व का वरदान प्राप्त है। इन्हें "चिरंजीवी" कहा जाता है, जिसका अर्थ है "सदा जीवित रहने वाले।" इन चिरंजीवियों का उल्लेख हमारे प्राचीन ग्रंथों और पुराणों में मिलता है, और इनकी कहानियां आज भी श्रद्धा और आदर के साथ सुनी और सुनाई जाती हैं। आइए जानते हैं इन सात चिरंजीवियों के बारे में विस्तार से।


 1. अश्वत्थामा

अश्वत्थामा महाभारत के प्रमुख योद्धाओं में से एक थे। वे गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र थे और अपने पिता की तरह ही महान योद्धा और धनुर्धर थे। महाभारत के युद्ध के दौरान, अश्वत्थामा ने कई वीरता के कार्य किए। लेकिन युद्ध के अंत में, उन्होंने पांडवों के खिलाफ कुप्रसिद्ध ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया, जिसके कारण उन्हें श्राप मिला कि वे सदा जीवित रहेंगे और कभी अपने घावों से मुक्ति नहीं पा सकेंगे।


 2. राजा बलि

राजा बलि, असुरों के महान राजा, अपने दानवीरता के लिए प्रसिद्ध थे। वामन अवतार के रूप में भगवान विष्णु ने उनसे तीन पग भूमि दान में मांगी और बलि ने अपने वचन के अनुसार उन्हें तीन पग भूमि दान में दे दी। भगवान विष्णु ने तीन पगों में सम्पूर्ण पृथ्वी, आकाश और पाताल को नाप लिया। इसके बाद, बलि को अमरत्व का वरदान मिला और वे पाताल लोक के राजा बने।


 3. हनुमान

हनुमान, भगवान राम के परम भक्त, शक्ति और भक्ति के प्रतीक हैं। वे पवन देवता के पुत्र और भगवान शिव के अवतार माने जाते हैं। हनुमान ने रामायण में भगवान राम की सहायता की और सीता माता की खोज की। हनुमान की भक्ति, साहस और शक्ति के किस्से हर युग में प्रेरणा देते हैं। उन्हें अमरता का वरदान मिला और कहा जाता है कि वे आज भी जीवित हैं और जहां भी रामकथा होती है, वहां उपस्थित रहते हैं।


 4. विभीषण

विभीषण रावण के भाई थे और उन्होंने रामायण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। विभीषण ने अपने भाई रावण को भगवान राम के साथ युद्ध न करने की सलाह दी थी। जब रावण ने उनकी सलाह नहीं मानी, तो विभीषण ने रावण का साथ छोड़कर भगवान राम का साथ दिया। विभीषण की धर्मनिष्ठा और सच्चाई के कारण उन्हें अमरता का वरदान प्राप्त हुआ और वे लंका के राजा बने।

 

5. कृपाचार्य

कृपाचार्य महाभारत के प्रमुख आचार्यों में से एक थे। वे कुरु वंश के राजगुरु और आचार्य थे। कृपाचार्य की ज्ञान और युद्धकला की शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान महाभारत की कथा में है। उन्हें भी अमरता का वरदान प्राप्त था और वे युद्ध के बाद भी जीवित रहे।


6. परशुराम

परशुराम, भगवान विष्णु के छठे अवतार, एक महान योद्धा और ऋषि थे। उन्होंने अत्याचारी क्षत्रियों का विनाश किया और अपनी परशु (कुल्हाड़ी) के कारण परशुराम कहलाए। परशुराम ने कई क्षत्रियों को पराजित किया और अपने माता-पिता की सेवा की। उन्हें भी अमरता का वरदान मिला और कहा जाता है कि वे आज भी जीवित हैं और विशेष अवसरों पर प्रकट होते हैं।


7. वेदव्यास

वेदव्यास, महाभारत के रचयिता और महान ऋषि, भारतीय धर्म और साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। उन्होंने वेदों का विभाजन किया और महाभारत जैसे महाकाव्य की रचना की। वेदव्यास की विद्वत्ता और ज्ञान का प्रभाव आज भी हमारे समाज में देखा जा सकता है। उन्हें भी अमरता का वरदान मिला और वे सदैव ज्ञान की ज्योति के रूप में स्थापित हैं।


 निष्कर्ष

ये सात चिरंजीवी हिंदू पौराणिक कथाओं में विशेष स्थान रखते हैं। उनकी कहानियां और उनके कार्य हमें धर्म, भक्ति, वीरता और सत्य की प्रेरणा देते हैं। उनकी अमरता का वर्णन यह दर्शाता है कि सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने वाले व्यक्ति सदैव जीवित रहते हैं और उनके कार्य युगों-युगों तक स्मरण किए जाते हैं।